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दशहरा और नवरात्रि

 यह ब्लॉग काफ़ी धर्म के बारे में होगा , UPPSC और UPSC से काफ़ी हट कर होगा , मेरा बहुत मन था इसपे लिखने का । 

प्लीज इससे पढ़े ।


रावण - एक 'देवता'

दोस्तों रावण का नाम सुनते ही हमारे मन में उसका एक ऐसा चित्र बन जाता है मानो वह कितना अहंकारी हो कितना क्रूर हो कितना ही वह दैत्य हो ।

हमसे बहुत कम लोग मानते हैं और जानते हो कि रावण बहुत ही शक्तिशाली और बुद्धिमान था और अपने परिवार की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने वाला  एक बहुत बड़ा शिव भक्त था।

 दोस्तों आज के ब्लॉग  में आप वह फैक्ट जाने के लिए जिनका जिक्र बहुत कम बार हुआ है और साथ में आप यह भी जानेंगे कि रावण के मरने के बाद उसके शरीर का क्या हुआ, 






त्रिंकोमली के कोणेश्वरम मन्दिर में रावण की प्रतिमा



 क्या आप जानते हैं रावण ना तो ब्राह्मण था ना ही राक्षस वह   सारस्वत ब्राह्मण पुलस्त्य ऋषि का पौत्र और विश्रवा का पुत्र रावण एक परम भगवान शिव भक्त जबकि उसकी मां कैक्सी ऋषि विश्रवा की दूसरी पत्नी थी एक राक्षसी थी यह एक कारण है की रावण के पास राक्षसों जैसे शक्ति और ब्राह्मणों जैसा दिमाग था।



रावण के पास त्रेता युग में पुष्पक विमान था जिसकी कल्पना कोई नहीं कर सकता था उस समय यह बहुत आधुनिक तकनीक थी जिसके बारे में कोई राजा सोच भी नहीं सकता था और आज भी श्रीलंका की सरकार कहीं ऐसे दावे करती है जिससे हमें यह ज्ञात होता है कि रावण के पास लंका में विमान स्थल थे और वह उनका इस्तेमाल करता था और आज भी वह सजीव है।





माता सीता का अपहरण पुष्पक विमान से ही हुआ था।


श्रीलंका में आज भी यह माना जाता है की रावण का शरीर आज भी किसी गुफा में पत्थर के ताबूत में बंद है क्योंकि श्रीलंका में ऐसी कथा प्रचलित है जो वहां के लोग कई सदियों से सुनते आए हैं कि जब रावण का वध हुआ था तब एक खास जाति ने रावण के शरीर को अपने पास रखा था वह लोग मानते थे कि अगर संजीवनी बूटी से लक्ष्मण जी को जिंदा किया जा सकता है तो वह भी ऐसा कुछ इलाज ढूंढ लेंगे जिससे रावण फिर से जिंदा हो पाएंगे लेकिन ऐसा कुछ हो ना सका फिर उन्होंने एक पत्थर के ताबूत में किसी गुफा में रावण के शरीर को रख दिया । 

श्रीलंका में कोलंबो से 200 किलोमीटर दूर एक जगह है रंगला जहां इस ताबूत का होने का दावा किया गया और श्रीलंका की एक रिसर्च टीम की खोजबीन में लग गई वह लोग गुफा ढूंढ ना पाए।


कुछ साल पहले श्रीलंका की एक रिसर्च टीम ने इसकी खोजबीन शुरू करी और काफी समय बाद उनको एक ऐसी गुफा मिली जहां 20 फुट लंबा और 6 फुट चौड़ा एक पत्थर का  ताबूत मिला। लेकिन इसे खोलने की अनुमति श्रीलंका की सरकार ने नहीं दी।








रावण को रावण का नाम शिव भगवान ने दिया था। पुरानी कथाओं के मुताबिक रावण एक बार शिव जी को कैलाश पर्वत से लंका लेकर जाना चाहता था। और शिवजी मान नहीं रहे थे फिर उसने कैलाश पर्वत को ही उठाना शुरू कर दिया जिसे देखकर से जी ने अपना पैर कैलाश पर्वत पर रख दिया , रावण की उंगलियां पर्वत के नीचे दब गई। और इतने दर्द के बाद भी रावण तेज आवाज में शिव तांडव करने लगा , और शिवजी है देख कर हैरान थे और उसी को देखकर शिव जी ने रावण को उसका नाम रावण दिया।







रावण बहुत ही शक्तिशाली था इस बात का अंदाजा हम इसी बात से लगा सकते हैं कि उसने यमलोक में जाकर यमराज को ही युद्ध के लिए ललकार दिया था वह बहुत शक्तिशाली एवं बुद्धिमान था लेकिन वह सिर्फ घमंड के कारण मारा गया अगर वह अपनी शक्तियों का घमंड ना करता अपनी बुद्धि मानता का घमंड ना करता हूं तो वह आज शायद भगवान की तरह पूजा जाता। 



घमंड रावण का भी नही बचा आप तो सिर्फ इंसान ही है। 








नवरात्रि

नवरात्रों के पीछे का ज्ञान , हमारी रीति रिवाज और जितने भी कार्य चाहे वह धर्म से या कर्म से जो भी हमारे पूर्वज और हमारे बड़ों ने तय किए हैं क्या वह उनका कुछ मतलब है यह फिर जो उन्हें अच्छा लगा उन्होंने किया चलिए आज के ब्लॉग के  दूसरे भाग में हम इसी के बारे में बात करेंगे और जानेंगे हमारे त्यौहार हमारे नवरात्रि के पीछे के विज्ञान और उससे जुड़ी हुई जानकारी जो हमारे शरीर और मन से जुड़ी हुई है।





१ हम व्रत क्यों रखते हैं?

हम व्रत देवी को खुश करने के लिए रखते हैं या फिर उस 'देवी' को जिससे हमारा जन्म हुआ है?

विज्ञान की रिसर्च में पता चला है जो हमारे शरीर में माइट्रोकांड्रिया होता है जो सेल का भाग है उसका जीन सिर्फ हमारे मां के वंशज से आता है आज तक इसका कोई पता नहीं लगा पाया कि आखिर होता क्यों है और माइट्रोकांड्रिया को डिटॉक्स की आवश्यकता होती है यह रिसर्च में पता चल चुका है कि व्रत लेना या कुछ कुछ समय पर खाने का त्याग करना शरीर के लिए लाभदायक साबित हुआ है । 

काफी शोध में यह पाया गया की व्रत रखने से उम्र से संबंधित बीमारियों का होना कम हो जाता है, हो सकता है की जो हमारी मां से पाया गया शरीर का सूक्ष्म यानी माइट्रोकांड्रिया को सुरक्षित रखने के लिए हम यह व्रत करते हो जिससे हम अपने अंदर की बीमारियों से बचे रह सके या फिर यह भी कह सकते हैं कि एक प्रकार से यह देवी की पूजा है।

व्रत की परंपरा जो दुनिया आप शोध में पता कर रही है कि यह लाभदायक है हम कितने सालों से करते आ रहे हैं।

 

 पृथ्वी

हमारी पृथ्वी अपने ध्रुव पर सीधी नहीं थोड़ी टेढ़ी है जिससे हमारे यहां अलग-अलग मौसम आते हैं और भारतवर्ष में मौसम के अनुसार त्यौहार मनाए जाते हैं हमारे यहां पुराने जमाने में सप्ताहिक अवकाश का कोई नाम नहीं था हम मौसम में आए बदलाव को त्योहारों के रूप में मनाते थे जिससे काम से हमारे शरीर को थोड़ी राहत मिली और हम अपने शरीर को मौसम में आए बदलाव मैं ढाल सकें।

सर्दियों में दिन छोटे और रात बड़ी हो जाती है जिससे हमारे निंद्रा के समय सारणी में बदलाव आने शुरू हो जाते हैं, नवरात्रों के 9 दिनों में पुराने समय में इन्हीं बदलाव को अपने शरीर के अनुसार ढालने के लिए मनाया जाता था।

अंत में मैं यही कहना चाहूंगा की हमार भारतवर्ष काफी ज्ञान का भंडार रहा है लेकिन हमने कभी इसे समझने की कोशिश नहीं की। हमारी पुरानी आदत है की जो चीज सजा कर और चमकीली दिखती है हम उसी के पीछे भागते हैं हम यह नहीं जानने की कोशिश करते हैं कि उसके पीछे कितनी सच्चाई है या कितना झूठ लेकिन हम सिर्फ यह जानते हैं कि हम जब तक दूसरों का दिया हुआ तरीका अपनाएंगे तभी हम आगे बढ़ पाएंगे लेकिन मैं यह मानता हूं कि हमको अपनी विरासत नहीं भूलनी चाहिए जब तक हम अपनी विरासत को अपनाएंगे नहीं तब तक हम अपनी विरासत को बचा नहीं पाएंगे और हम इसे धीरे-धीरे खोते जाएंगे । हमारे पूर्वज समय से काफी आगे थे और वह जानते थे कि आने वाला समय कैसा होगा तभी तो हम अपने वेदों में विमान एटम बम जैसी नई नई तकनीकों का विवरण दीया है। 


सुक्रिया । 

सबका ❤️❤️






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